Nainital Naini Lake Water Level At High 2020
Article, City, Nature, News2020, Covid-19, Nainilake, Nainital, Nature, Uttarakhand, UttarakhandLakes, WaterLevelComments are offइस साल बारिश कम, लेकिन हर दिन एक इंच बढ़ रहा झील का जलस्तर.
लॉकडाउन के कारण पर्यटन गतिविधियों के ठप होने से शहर में पानी की खपत भी घट गई है। इसका सीधा असर नैनी झील (Nainital Lake) की सेहत पर दिख रहा है। पानी की गुणवत्ता में भी लगातार सुधार हो रहा है। यह पहली बार है कि बिन बारिश भी रोजाना झील का जलस्तर एक इंच बढ़ रहा है। यही कारण है कि बीते 18 वर्षों में झील का जलस्तर अपने उच्च स्तर पर है। ऐसा ही रहा तो करीब पांच वर्ष बाद जुलाई में झील के निकासी गेटों को खोलना पड़ सकता है। इससे पूर्व 2015 में झील के गेट जुलाई अंत में खोले गए थे।
जलस्तर के साथ ही गुणवत्ता भी सुधरी
झील के पानी की गुणवत्ता पर भी सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। पूर्व में जल संस्थान की ओर से पानी की जांच में सामने आया कि यह फिजीकल, कैमिकल, बैक्टोरियल समेत तमाम पैरामीटर पर खरा उतरा है। झील के पानी में टोटल डिजाल्व सॉलिड 340 दर्ज किया गया है। यह अधिकतम 500 से एक हजार होना चाहिए। टोटल कालीफ्रॉम बैक्टीरिया पहले आठ हजार प्रति लीटर थे जोकि घटकर 4839 रह गए हैं। पावर ऑफ हाइड्रोजन घटकर 7.7 रह गया है, जो पहले 8.4 तक होता था। छह से आठ प्रति लीटर रहने वाला कैल्शियम अब तीन से चार के बीच है।
बारिश कम, लेकिन हर दिन एक इंच बढ़ रहा जलस्तर
झील नियंत्रण कक्ष से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बीते वर्ष आज के दिन तक 328 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। इसकी तुलना में इस बार मात्र 221 मिमी ही बारिश हुई है। इसके विपरित झील के जलस्तर में निरंतर वृद्धि हो रही है। झील से रोजाना आधा इंच पानी जल संस्थान पेयजल सप्लाई कर देता है। इसके बावजूद रोजाना एक इंच जलस्तर बढ़ रहा है। इस साल झील का जलस्तर 8.10 फिट पहुंच गया है। बीते वर्ष आज के दिन झील का जलस्तर 2.11 फिट था।
नालो से जा रही गाद से घट रही गहराई
नैनी झील नगर वासियों के पेयजल का एकमात्र स्रोत है। इसकी गहराई पिछले तीस सालों के अंतराल में लगातार घट रही है। झील की औसत गहराई 2018 में 16.90 मीटर बताई गई। 1989 में यह 18.52 मीटर थी। इस प्रकार बीते तीन दशकों में झील की गहराई में 1.62 मीटर की कमी आई है। गहराई कम होने का मुख्य कारण इससे जुड़े नालों के आसपास अवैध और बेतरतीब भवन निर्माण है। बरसात के दौरान बड़ी मात्रा में कूड़ा और गाद झील में समा जाता है।
Credit & Original Post : Jagran.com